कालपी: कचरे के ढेर में सरकारी दस्तावेज मिलने से हड़कंप, रातों-रात गायब हुए प्रमाण पत्र

कालपी। कालपी नगर में शनिवार रात एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जब तरीबुल्दा मोहल्ले के बाहर पड़े कचरे के ढेर में बड़ी संख्या में नगरपालिका परिषद द्वारा जारी जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्रों के साथ-साथ निर्वाचन आयोग के पहचान पत्र और अन्य सरकारी दस्तावेज पाए गए। इस घटना की जानकारी मिलते ही नगरवासियों में हड़कंप मच गया और देखते ही देखते बड़ी संख्या में लोग घटनास्थल पर इकट्ठा हो गए।
कचरे में पड़े थे 2007 से 2024 तक के सरकारी दस्तावेज
स्थानीय निवासियों के अनुसार, इन दस्तावेजों में वर्ष 2007 से लेकर 2024 तक के जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र, निर्वाचन आयोग द्वारा जारी फोटो पहचान पत्र और अन्य सरकारी कागजात शामिल थे। इन दस्तावेजों को बनवाने के लिए आम नागरिकों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है और कई-कई दिनों तक सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। ऐसे में इन महत्वपूर्ण दस्तावेजों का इस प्रकार कचरे के ढेर में पाया जाना प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है।
रातों-रात गायब हो गए दस्तावेज
जैसे ही यह खबर पूरे नगर में फैली, वहां बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हो गए। लेकिन, चौंकाने वाली बात यह रही कि रातों-रात ये दस्तावेज गायब हो गए। कुछ स्थानीय निवासियों का मानना है कि इन्हें किसी ने जानबूझकर हटवा दिया ताकि इस मामले को दबाया जा सके।
पालिका प्रशासन ने साधी चुप्पी, अधिशाषी अधिकारी ने पल्ला झाड़ा
इस पूरे मामले को लेकर जब नगरपालिका परिषद के अधिशाषी अधिकारी अवनीश शुक्ला से सवाल किया गया तो उन्होंने किसी भी सरकारी दस्तावेज के गायब होने से इनकार किया। उनका कहना था कि पालिका कार्यालय में किसी भी दस्तावेज की कमी नहीं है और उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि यह प्रमाण पत्र और अन्य सरकारी कागजात कचरे के ढेर तक कैसे पहुंचे।
प्रशासन पर उठ रहे सवाल
यह घटना नगर प्रशासन के कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है कि आखिर इतने महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज कचरे में कैसे पहुंचे? क्या यह किसी लापरवाही का नतीजा है या किसी बड़े घोटाले का संकेत? यह जानना भी आवश्यक है कि इन दस्तावेजों में किन-किन व्यक्तियों की जानकारी मौजूद थी और कहीं इसका दुरुपयोग तो नहीं किया गया?
नागरिकों ने की जांच की मांग
नगरवासियों ने इस मामले की गहन जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि यह सरकारी दस्तावेज लीक हुए हैं, तो यह न केवल प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि संभावित रूप से पहचान चोरी और दस्तावेजों के दुरुपयोग जैसी गंभीर समस्याओं को भी जन्म दे सकता है।
प्रशासन से उम्मीदें, जवाबदेही तय होनी चाहिए
अब यह प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वह इस पूरे मामले की जांच कराए और दोषियों पर उचित कार्रवाई करे। यदि यह लापरवाही का मामला है, तो जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए और यदि इसमें कोई साजिश शामिल है, तो उसे बेनकाब किया जाना चाहिए।
ब्यूरो रिपोर्ट डेस्क